शनिवार, 12 दिसंबर 2020

जिंदगी तू सदा मुस्कुराती रहे...




गीत  होठों  से  शबनम  के  गाती  रहे 

जिंदगी  तू  सदा  मुस्कुराती  रहे,


हसरतें  दिल  की  दिल  में  दबी  रह  गई

मन  की  बातें  कही  अनकही  रह  गई

धडकनों  की  रवानी  सुनाती  रहे

जिंदगी  तू  सदा  मुस्कुराती  रहे,


गीत  होठों  से  शबनम  के  गाती  रहे

जिंदगी  तू  सदा  मुस्कुराती  रहे,


ख़्वाब  टूटा  कोई  और  बिखर  सा  गया

उम्मीदों  का  सागर  ठहर  सा  गया

कल्पना  की  कहानी  सुनाती  रहे 

जिंदगी  तू  सदा  मुस्कुराती  रहे,


गीत  होठों  से  शबनम  के  गाती  रहे

जिंदगी  तू  सदा  मुस्कुराती  रहे।

सोमवार, 2 सितंबर 2019

चांद जैसे उतरता है कल्पना का इस दिल की जमीन पर....




अक्सर  याद  आती  है  तुम्हारी 
जब  बैठ  जाता  हूं  थक  कर  कहीं  पर
दिन  बीत  जाता  है  झमेलों   में  दुनिया  के
शाम  होते  ही  खो  जाता   हूं  दूसरी  दुनिया  में,

जहां  पर  मै  हूं  तुम  हो  एक  हसीन  शाम  है
खामोश  सी  चलती  हवा  में  बस  तुम्हारा  नाम  है,

एक  अजब  सी  बैचैनी  तुम्हारे  पास  आने  की  रहती  है
दूरियों  का  दर्द  दिल  की  हर  धड़कन  सहती  है

तब  निकल  पड़ता  हूं  मैं  तुम्हारी  गलियों  की  तरफ  को
और  जब  तुम  करती  रहती  हो  मेरा  इंतजार  अक्सर

और  जब  मिलकर   हम  चल  देते  है  मंदिर  के  आंगन में
झोंका  हवा  का  खुशबुएं  भर  देता  है  तुम्हारे  आंचल  में,

साथ  तुम  होती  हो  जब  मेरी  आंखों  के  सामने
कई  सवाल  अक्सर  उभर  आते  है  मेरे  जहन  में
क्या  तुम  आयी  हो  दूसरी  दुनिया  से  बस  मेरे  लिए
या  कोई  ख्वाब  ये  जागती  आंखें  देख  रही  हैं,

मुस्कुरा  कर  जब  कहती  हो  तुम  पागल  हो  क्या
दिल  में  उतर  जाता  है  मुस्कुराता  चेहरा  तुम्हारा
चांद  जैसे  उतरता  है  कल्पना  का  इस  दिल  की  जमीन  पर,

सदियों  सा  लगता  है  हर  पल  हर  लम्हा  तुम्हारे  साथ  में
रंग  बिखर  जाते  है  तब  उस  खुशनुमा  एहसास  में,

बस  तुम  रहो  बस  साथ  दूर  तुमको  जाना  नहीं  है
बस  यही  एक  आस  बाकी  और  कुछ  पाना  नहीं  है।।

बुधवार, 21 अगस्त 2019

ऐ चाँद मेरे तब अक्सर तू मेरी आँखों में बस जाता है.....



ये  शाम  कभी  जब  ढलती  है
घनघोर  अँधेरा  छाता  है
साया  भी  अपना  अक्सर  जब
धूमिल  सा  पड़  जाता  है
तब  भी  प्यासी  इन  अंखियन  में
बाकि  कुछ  सपने  रह  जाते  हैं
कोई  ख़्वाब  छलक  कर  जब
इन  पलकों  पर  रह  जाता  है
ऐ  चाँद  मेरे  तब  अक्सर  तू
मेरी  आँखों  में  बस  जाता  है,

साँझ  की  दुल्हन  श्रृंगार  करे
जब  धरती  पर  आ  जाती  है
तारों  की  जब  चुनर  कोई
जगमग  जगमग  लहराती  है
जब  प्रेम  गीत  कोई  अक्सर 
वंदन  में  गाया  जाता  है
होठों  पर  तेरे  कोई  जब
गीत  ठहर  सा  जाता  है
ऐ  चाँद  मेरे  तब  अक्सर  तू
मेरी  आँखों  में  बस  जाता  है,

जब  राधा  पायल  छनका  कर
मधुबन  में  आ  जाती  है
पैरों  की  पैंजनिया  जब
छम-छम  छम-छम  छंकाती  है
मोहन  की   बाँसुरिया  जब
होठों  से  छू  जाती  है
जब  वृन्दावन  के  आँगन  में
रास   नया  रच  जाता  है
ऐ  चाँद  मेरे  तब  अक्सर  तू
मेरी  आँखों  में  बस  जाता  है।

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

फिर से ये तन भीग जाये ये मन भीग जाये...



साँझ  उगते  ही  रोज  बादल  छाते  हैं
पगली  पवन  के  झोंके  पत्तों  को  सहलाते  हैं
कुछ  बूंदे  यूँ  आएं  की  ये  तन  भीग  जाये
छू  जाएँ  कुछ  यूँ  के  ये  मन  भीग  जाये,

तपती  धूप  की  तपन  से  जल  रही  है  धरती
कुछ  मुरझाये  हुए  फूल  पौधों  की  पत्तियां
थामे  हुए  बैठा  कोई  पपीहा  अपनी  प्यास  को
कुछ  बूंदें  जो  पूरी  कर  दें  उसकी  आस  को,

ना  जाने  कब  से  इंतज़ार  है  कुछ  बूंदों  का
गिरें  पत्तों  से  छनकर  कुछ  बूंदें  यूँ
जिनसे  इस  धरती  की  प्यास  बुझ  जाये
फिर  से  ये  तन  भीग  जाये  ये  मन  भीग  जाये।

शुक्रवार, 18 मई 2018

जीतने देती नहीं जिंदगी ना हार मान रहा हूँ मैं...



वक़्त  का  खेल  बड़ा  बेहिसाब  है
बिलकुल  ऐसे  जैसे  एक  बंद  किताब  है
हर  पन्ना  पलट  कर  पढ़ना  पड़ता  है  यहाँ
वक़्त  कैसा  भी  हो  जीना  पड़ता  है  यहाँ,

क्या  छिपा  है  वक़्त  के  पिटारे  में  जानना  है
दुनिया  को  जान  लिया  खुद  को  पहचानना  है
एक  मन  है  हमारा  जिसकी  खोज-बीन  जारी  है
बड़ी  नींदों  के  सौदों  पर  छोटे  सपने  भारी  हैं,

सिंधु-सागर  से  मोती  खोजने  की  तैयारी  है
खाली  हाथ  हैं  अभी  तक  मगर  संघर्ष  जारी  है
बैठा  हुआ  किनारों  पर  लहरें  निहार  रहा  हूँ  मैं
जीतने  देती  नहीं  जिंदगी  ना  हार  मान  रहा  हूँ  मैं। 

सोमवार, 2 अप्रैल 2018

रब तेरे सजदे में सर झुकाना भूल गए !!!




वो  सामने  जब  आये  हम  नजरें  मिलाना  भूल  गए 
मिली  जो  कभी  नजरें  तो  सारा  ज़माना  भूल  गए,

हसरत  बहुत  थी  उसकी  महफ़िल  में  दिल  आजमाने  की 
देखी  जो  उसकी  मुस्कराहट  वो  भी  आज़माना  भूल  गए,

दिल  में  जब  से  बसा  ली  सूरत  हमने  उनकी
मंदिर  और  मस्जिद   के  चक्कर  लगाना  भूल  गए, 

सामने  आये  तो  सजदे  में  झुक  गया  हमारा  सर  खुद - ब -खुद
गुनाह- ए -अज़ीम  हुआ  ऐ  रब  तेरे  सजदे  में  सर  झुकाना  भूल  गए।  






बुधवार, 28 मार्च 2018

तेरी इस धरती से दूरी कितनी है.....




देखता  हूँ  अक्सर  तो  पास  लगता  है  तू  परछाई  में

बतला  दे,

 ऐ  चाँद  फिर  भी  तेरी  इस  धरती  से  दूरी  कितनी  है.....

गुरुवार, 1 मार्च 2018

कोई ख़्वाब आज अपना पूरा कर लूँ !!!









दिल  करता  है  आज,

सजा  दूँ  रंगों  से  आँचल  तुम्हारा
कोई  ख़्वाब  आज  अपना  पूरा  कर  लूँ
तोड़  कर  सारे  बंधनों  को  आज
तुमको  अपनी  बाँहों  में  भर  लूँ,

दिल  करता  है  आज,

कुछ  रंग  अपने  प्यार  का  मिला  कर  गुलाल
आज  रंग  दूँ  तुम्हारे  गुलाबी  से  गाल
कुछ  उदासी  उन  आँखों  की  आज  हर  लूं
मुस्कराहट  उनकी  आज  अपनी  आँखों  में  भर  लूँ,

 दिल  करता  है  आज,

कोई  ख़्वाब  आज  अपना  पूरा  कर  लूँ । 

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

उतर आयी कल्पना मेरे दिल की जमीं पर !!!





अपनी  आँखों  पर  नही  होता  मुझको  यकीं  पर
उतर  आयी  कल्पना   मेरे  दिल  की  जमीं  पर

उसकी  मुस्कराहट  एक  पहेली  थी  जैसे
खुद  महसूस  की  उसके  होठों  को  छूकर

सुलझी  हुई  थी  उसकी  जुल्फ़ें  सुनहरी
उलझ  से  गये  जब  गयी  हमको  छूकर

हर  लम्हा  साथ  उसका  ख़्वाब  से  कम  नही  है
दुनिया  रह  गयी  उसकी  आँखों  में  सिमटकर

अँधेरी  बड़ी  हैं  मेरी  जिंदगानी  की  गलियां
रोशनी  अपनी  देना  मेरे  माहताब  बनकर ।।

शनिवार, 25 नवंबर 2017

कहाँ पर वो है तेरे सपनों की मंजिल ।।



कई  ख़्वाब  छूटे  कई  ख़्वाब  टूटे
अपने  थे  जो  भी  सभी  हमसे  रूठे
इन  आँखों  ने  देखा  है  फिर  कोई  सपना
दूर  तलक  है  ना  कोई  भी  अपना,

निकल  पड़ा  हूँ  मैं  फिर  बन  मुसाफिर
तुमको  ही  पाने  तुम्हारी  ही  खातिर
ये  अनजान  राहें  ये  अनजान  महफ़िल
बढ़  सी  गयी  जिंदगानी  की  मुश्किल,

बतला  दे  मुझको  अब  तो  मेरे  दिल
कहाँ  पर  वो  है  तेरे  सपनों  की मंजिल,

आँसू  बहुत  हैं  इन  आँखों  से  बिखरे
हर  पल  ही  तुझको  ठुकराया  गया  है
ख्वाबों  का  कोई  एक  खंडर  सा  है  तू
हसरतों  को  जिनमें  दफनाया  गया  है,

फिर  भी  हैं  बाकि  कुछ  दिल  में  उम्मीदें
कुछ  सपनों  की  खातिर  ये  जागी  सी  नींदें
फिर  से  कुछ  ख्वाबों  की  आँखों  में  झिलमिल
फिर  वो  ही  बेचैनी  फिर  वो  ही  मुश्किल,

बतला  दे  मुझको  अब  तो  मेरे  दिल
कहाँ  पर  वो  है  तेरे  सपनों  की  मंजिल,

घाव  तो  अब  तक  भरे  ही  नहीं  थे
हर  पल  ही  उनको  कुरेदा  गया  है
कभी  आंसुओं  से  कभी  सिसकियों  से
हर  पल  में  उनको  समेटा  गया  है,

मालूम  है  तुझको  ये  अंजाम -ए- उल्फत
फिर  भी  गुनाह  तू  ये  करने  लगा  है
होती  नहीं  है  ज़मीन  भी  मयस्सर
वफ़ा  चाँद  से  फिर  भी  करने  लगा  है,

आना  ही  पडेग़ा  ख्वाबों  से  उतरकर
होगा  अगर  इन  लकीरों  में  शामिल,

 बतला  दे  मुझको  अब  तो  मेरे  दिल
कहाँ  पर  वो  है  तेरे  सपनों  की  मंजिल ।।



सोमवार, 20 नवंबर 2017

जब तुम गुजरते हो ख्यालों से अच्छा लगता है......







हर  ख्वाब  इन  आखों  का  सच्चा  लगता  है,
जब  तुम  गुजरते  हो  ख्यालों  से  अच्छा  लगता  है,

जहन  में  जब  उतर  जाती  है  सूरत  तुम्हारी,
झुककर  चाँद  भी  जमीं  पर  ढलने  लगता  है,

आँख  जब  खुलती  हैं  सर्द  इस  मौसम  में  तुम्हारी,
क़तरा  शबनम  का  तुम्हारे  होठों  से  पिघलने  लगता  है,

जिंदगी  जीना  तो  बड़ा  दुश्वार  हो  गया  है  अब   "मनु"
तड़पकर  उनकी  यादों  में  जलना  अच्छा  लगता  है । 

शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

मीठा सा कोई ख्वाब हो तुम !!!







इस  दिल  की  हर  एक  धड़कन  में
बसने  वाला  एहसास  हो  तुम
इन  आँखों  में  सजने  वाला  एक
मीठा  सा  कोई  ख्वाब  हो  तुम,

कितनी  बातें  मेरे  दिल  में
घुट-घुट  कर  ही  रह  जाती  हैं
तेरी  यादें  जब जब  आती  हैं
मेरे  दिल  को  तड़पाती  हैं

मेरे  मन  की  सूखी  धरती  पर
रिमझिम  गिरती  बरसात  हो  तुम
इन  आँखों  में  सजने  वाला  एक
मीठा  सा  कोई  ख्वाब  हो  तुम,

मैं  अक्सर  खोना  चाहता  हूँ
मीठी  सी  तेरी  बातों  में
और  पाना  खुद  को  चाहता  हूँ
प्यारी  सी  तेरी  आँखों  में

मैं  क्या  जानू  इस  दुनिया  को
मेरे  दिल  के  जब  पास  हो  तुम
इस  दिल  की  हर  एक  धड़कन  में
बसने  वाला  एहसास  हो  तुम।

गुरुवार, 20 जुलाई 2017

दो आँखें हमने देखीं हैं !!!







राधा  तेरी  आँखों  सी  प्यारी
दो  आँखें  हमने  देखीं  हैं,
कारी-कजरारी,  मतवारी  दो
पलकें  झुकती  देखीं  हैं,

मुस्काती  हैं,  शरमाती  हैं
पगले  दिल  को  भरमाती  हैं
बिन  बोले  ये  ख़ामोशी  से
जाने  क्या-क्या  कह  जाती  हैं,
इन  आँखों  में  ही  हमने  तो
आँखों  की  भाषा  देखी  है,

राधा  तेरी  आँखों  सी  प्यारी
दो  आँखें  हमने  देखीं  हैं,

इन  आँखों  में  है  प्यार  बसा
इन  आँखों  में  सच्चाई  है
हम  डूब  गए  इन  आँखों  में
इनमें  इतनी  गहरायी  है,
इन  आँखों  में  ही  डूब  के  तो
हमने  एक  दुनिया  देखी  है,

राधा  तेरी  आँखों  सी  प्यारी
दो  आँखें  हमने  देखीं  हैं,
कारी-कजरारी,  मतवारी  दो
पलकें  झुकती  देखीं  हैं।