सोमवार, 2 अप्रैल 2018

रब तेरे सजदे में सर झुकाना भूल गए !!!




वो  सामने  जब  आये  हम  नजरें  मिलाना  भूल  गए 
मिली  जो  कभी  नजरें  तो  सारा  ज़माना  भूल  गए,

हसरत  बहुत  थी  उसकी  महफ़िल  में  दिल  आजमाने  की 
देखी  जो  उसकी  मुस्कराहट  वो  भी  आज़माना  भूल  गए,

दिल  में  जब  से  बसा  ली  सूरत  हमने  उनकी
मंदिर  और  मस्जिद   के  चक्कर  लगाना  भूल  गए, 

सामने  आये  तो  सजदे  में  झुक  गया  हमारा  सर  खुद - ब -खुद
गुनाह- ए -अज़ीम  हुआ  ऐ  रब  तेरे  सजदे  में  सर  झुकाना  भूल  गए।