शनिवार, 30 जनवरी 2016

मुक्तक








दिल  की  राहों  से  गुजरकर  हमने  देखा  है,
प्यार  की  हद  से  गुजरकर  हमने  देखा  है,
तड़पती  आहों  का  दर्द  है,  मोहोब्बत  नाम  है  जिसका,
इस  दर्द  को  सीने  से  लगाकर  हमने  देखा  है।

शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……(भाग - ४ )










तेरे  साथ  ही  मैं  अपना  संसार  बसना  चाहता  हूँ ,
जीवन  का  हर  एक  गीत  मै  तेरे  संग  गाना  चाहता  हूँ ,
वीरानी  लगती  हैं  तुम  बिन  मेरे  मन  की  सारी  गलियाँ ,
मेरे  दिल  के  बागीचे   की  सारी  कुंजन  सारी  कलियाँ ,
साज़  रहित  मेरे  जीवन  में,  तुम  चली  आओ  नयी  प्रेम  धुन  छेड़   के ,
तुम  चली  आओ  चुनार  प्यार  की  ओढ़  के.……

गुरुवार, 28 जनवरी 2016

तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.…… भाग-३










सजनी खंजन से ये नैन तेरे मेरे हृदय को भेदित करते है,
कानों के झुमके तेरे गालों से ठिठोली करते हैं ,
तेरे चेहरे की गरिमा से मेरा तन-मन पिघला जाता है,
तेरे नूपुरों का स्वर जैसे कोई मधुर गीत सा गाता है,
तेरी वाणी का हर एक बोल जैसे जाता है, कानों में मिसरी घोल के ,
तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……

तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……(भाग - २ )












तेरी जुल्फों के साए में जिन्दगी सुहानी लगती है ,
पीपर की छाया भी हमको स्वर्ग सरीखी जंचती है ,
कोयल की हर कूक मेरे मन को घायल कर जाती है ,
तितली मन की बगिया में रंग नए भर जाती है ,
और पवन बसंती का हर झोंका जैसे जाता है कोई तरंग छेड़ के ,
तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……