इन्द्रेश भदौरिया जी *रायबरेली*
माननीय इन्द्रेश जी ग्रामसभा कठवारा फेस-बुक पृष्ठ के वरिष्ठ सदस्य हैं, अपने मुक्तक पर जब मैंने इन्द्रेश जी का लाइक देखा, तभी मेरे मन में इनके व्यक्तित्व को जानने की जिज्ञासा हुई, मैंने फेस-बुक पर जाकर देखा तो,
कविता के सौंदर्य के बारे में इन्द्रेश जी की अवधी भाषा की शुद्ध एवं मनोहारी पंक्तियाँ पढ़-कर मेरा मन मुग्ध हो, हृदय प्रफुल्लित हो गया और कविता के विषय में मेरा आदर और भी बढ़ गया।
इन्द्रेश जी अगर आप भी मेरा ये सन्देश पढ़ें, तो मुझे भी अपना पावन आशीर्वाद प्रदान करें,
जिससे मेरी कविताओं में भी ह्रदय को प्रभवित कर देने वाले भावों का समावेश हो सके।
आपका स्नेहाभिलाषी,
मनोज यादव
प्रस्तुत हैं, इन्द्रेश जी की अवधी कविता की पंक्तियाँ आशा है, ये पंक्तियाँ आप सभी के ह्रदय की गहराईयों को अवश्य छुएँगी,
कविता
की सुन्दरता
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कविता
वह जग में
सुन्दर है,
तन की पँखुरी सरसाय दियै/
सुनिके सुर-ताल मलाल न हो,
मन प्रेम-सुधा बरसाय दियै/
मनई सब भूलि जाय दुख का,
मन मोद-प्रमोद बढ़ाय दियै/
सुख देय सदा तनका-मनका,
नर-नारिन को हरसाय दियै//
तन की पँखुरी सरसाय दियै/
सुनिके सुर-ताल मलाल न हो,
मन प्रेम-सुधा बरसाय दियै/
मनई सब भूलि जाय दुख का,
मन मोद-प्रमोद बढ़ाय दियै/
सुख देय सदा तनका-मनका,
नर-नारिन को हरसाय दियै//
इन्द्रेश भदौरिया* रायबरेली*
सादर -
जवाब देंहटाएंमनोज यादव
bahut kubh bhiya....
जवाब देंहटाएंमुझे बहुत अच्छा लगा।
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