सोमवार, 2 सितंबर 2019

चांद जैसे उतरता है कल्पना का इस दिल की जमीन पर....




अक्सर  याद  आती  है  तुम्हारी 
जब  बैठ  जाता  हूं  थक  कर  कहीं  पर
दिन  बीत  जाता  है  झमेलों   में  दुनिया  के
शाम  होते  ही  खो  जाता   हूं  दूसरी  दुनिया  में,

जहां  पर  मै  हूं  तुम  हो  एक  हसीन  शाम  है
खामोश  सी  चलती  हवा  में  बस  तुम्हारा  नाम  है,

एक  अजब  सी  बैचैनी  तुम्हारे  पास  आने  की  रहती  है
दूरियों  का  दर्द  दिल  की  हर  धड़कन  सहती  है

तब  निकल  पड़ता  हूं  मैं  तुम्हारी  गलियों  की  तरफ  को
और  जब  तुम  करती  रहती  हो  मेरा  इंतजार  अक्सर

और  जब  मिलकर   हम  चल  देते  है  मंदिर  के  आंगन में
झोंका  हवा  का  खुशबुएं  भर  देता  है  तुम्हारे  आंचल  में,

साथ  तुम  होती  हो  जब  मेरी  आंखों  के  सामने
कई  सवाल  अक्सर  उभर  आते  है  मेरे  जहन  में
क्या  तुम  आयी  हो  दूसरी  दुनिया  से  बस  मेरे  लिए
या  कोई  ख्वाब  ये  जागती  आंखें  देख  रही  हैं,

मुस्कुरा  कर  जब  कहती  हो  तुम  पागल  हो  क्या
दिल  में  उतर  जाता  है  मुस्कुराता  चेहरा  तुम्हारा
चांद  जैसे  उतरता  है  कल्पना  का  इस  दिल  की  जमीन  पर,

सदियों  सा  लगता  है  हर  पल  हर  लम्हा  तुम्हारे  साथ  में
रंग  बिखर  जाते  है  तब  उस  खुशनुमा  एहसास  में,

बस  तुम  रहो  बस  साथ  दूर  तुमको  जाना  नहीं  है
बस  यही  एक  आस  बाकी  और  कुछ  पाना  नहीं  है।।

बुधवार, 21 अगस्त 2019

ऐ चाँद मेरे तब अक्सर तू मेरी आँखों में बस जाता है.....



ये  शाम  कभी  जब  ढलती  है
घनघोर  अँधेरा  छाता  है
साया  भी  अपना  अक्सर  जब
धूमिल  सा  पड़  जाता  है
तब  भी  प्यासी  इन  अंखियन  में
बाकि  कुछ  सपने  रह  जाते  हैं
कोई  ख़्वाब  छलक  कर  जब
इन  पलकों  पर  रह  जाता  है
ऐ  चाँद  मेरे  तब  अक्सर  तू
मेरी  आँखों  में  बस  जाता  है,

साँझ  की  दुल्हन  श्रृंगार  करे
जब  धरती  पर  आ  जाती  है
तारों  की  जब  चुनर  कोई
जगमग  जगमग  लहराती  है
जब  प्रेम  गीत  कोई  अक्सर 
वंदन  में  गाया  जाता  है
होठों  पर  तेरे  कोई  जब
गीत  ठहर  सा  जाता  है
ऐ  चाँद  मेरे  तब  अक्सर  तू
मेरी  आँखों  में  बस  जाता  है,

जब  राधा  पायल  छनका  कर
मधुबन  में  आ  जाती  है
पैरों  की  पैंजनिया  जब
छम-छम  छम-छम  छंकाती  है
मोहन  की   बाँसुरिया  जब
होठों  से  छू  जाती  है
जब  वृन्दावन  के  आँगन  में
रास   नया  रच  जाता  है
ऐ  चाँद  मेरे  तब  अक्सर  तू
मेरी  आँखों  में  बस  जाता  है।