शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

फिर से ये तन भीग जाये ये मन भीग जाये...



साँझ  उगते  ही  रोज  बादल  छाते  हैं
पगली  पवन  के  झोंके  पत्तों  को  सहलाते  हैं
कुछ  बूंदे  यूँ  आएं  की  ये  तन  भीग  जाये
छू  जाएँ  कुछ  यूँ  के  ये  मन  भीग  जाये,

तपती  धूप  की  तपन  से  जल  रही  है  धरती
कुछ  मुरझाये  हुए  फूल  पौधों  की  पत्तियां
थामे  हुए  बैठा  कोई  पपीहा  अपनी  प्यास  को
कुछ  बूंदें  जो  पूरी  कर  दें  उसकी  आस  को,

ना  जाने  कब  से  इंतज़ार  है  कुछ  बूंदों  का
गिरें  पत्तों  से  छनकर  कुछ  बूंदें  यूँ
जिनसे  इस  धरती  की  प्यास  बुझ  जाये
फिर  से  ये  तन  भीग  जाये  ये  मन  भीग  जाये।

शुक्रवार, 18 मई 2018

जीतने देती नहीं जिंदगी ना हार मान रहा हूँ मैं...



वक़्त  का  खेल  बड़ा  बेहिसाब  है
बिलकुल  ऐसे  जैसे  एक  बंद  किताब  है
हर  पन्ना  पलट  कर  पढ़ना  पड़ता  है  यहाँ
वक़्त  कैसा  भी  हो  जीना  पड़ता  है  यहाँ,

क्या  छिपा  है  वक़्त  के  पिटारे  में  जानना  है
दुनिया  को  जान  लिया  खुद  को  पहचानना  है
एक  मन  है  हमारा  जिसकी  खोज-बीन  जारी  है
बड़ी  नींदों  के  सौदों  पर  छोटे  सपने  भारी  हैं,

सिंधु-सागर  से  मोती  खोजने  की  तैयारी  है
खाली  हाथ  हैं  अभी  तक  मगर  संघर्ष  जारी  है
बैठा  हुआ  किनारों  पर  लहरें  निहार  रहा  हूँ  मैं
जीतने  देती  नहीं  जिंदगी  ना  हार  मान  रहा  हूँ  मैं। 

सोमवार, 2 अप्रैल 2018

रब तेरे सजदे में सर झुकाना भूल गए !!!




वो  सामने  जब  आये  हम  नजरें  मिलाना  भूल  गए 
मिली  जो  कभी  नजरें  तो  सारा  ज़माना  भूल  गए,

हसरत  बहुत  थी  उसकी  महफ़िल  में  दिल  आजमाने  की 
देखी  जो  उसकी  मुस्कराहट  वो  भी  आज़माना  भूल  गए,

दिल  में  जब  से  बसा  ली  सूरत  हमने  उनकी
मंदिर  और  मस्जिद   के  चक्कर  लगाना  भूल  गए, 

सामने  आये  तो  सजदे  में  झुक  गया  हमारा  सर  खुद - ब -खुद
गुनाह- ए -अज़ीम  हुआ  ऐ  रब  तेरे  सजदे  में  सर  झुकाना  भूल  गए।  






बुधवार, 28 मार्च 2018

तेरी इस धरती से दूरी कितनी है.....




देखता  हूँ  अक्सर  तो  पास  लगता  है  तू  परछाई  में

बतला  दे,

 ऐ  चाँद  फिर  भी  तेरी  इस  धरती  से  दूरी  कितनी  है.....

गुरुवार, 1 मार्च 2018

कोई ख़्वाब आज अपना पूरा कर लूँ !!!









दिल  करता  है  आज,

सजा  दूँ  रंगों  से  आँचल  तुम्हारा
कोई  ख़्वाब  आज  अपना  पूरा  कर  लूँ
तोड़  कर  सारे  बंधनों  को  आज
तुमको  अपनी  बाँहों  में  भर  लूँ,

दिल  करता  है  आज,

कुछ  रंग  अपने  प्यार  का  मिला  कर  गुलाल
आज  रंग  दूँ  तुम्हारे  गुलाबी  से  गाल
कुछ  उदासी  उन  आँखों  की  आज  हर  लूं
मुस्कराहट  उनकी  आज  अपनी  आँखों  में  भर  लूँ,

 दिल  करता  है  आज,

कोई  ख़्वाब  आज  अपना  पूरा  कर  लूँ । 

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

उतर आयी कल्पना मेरे दिल की जमीं पर !!!





अपनी  आँखों  पर  नही  होता  मुझको  यकीं  पर
उतर  आयी  कल्पना   मेरे  दिल  की  जमीं  पर

उसकी  मुस्कराहट  एक  पहेली  थी  जैसे
खुद  महसूस  की  उसके  होठों  को  छूकर

सुलझी  हुई  थी  उसकी  जुल्फ़ें  सुनहरी
उलझ  से  गये  जब  गयी  हमको  छूकर

हर  लम्हा  साथ  उसका  ख़्वाब  से  कम  नही  है
दुनिया  रह  गयी  उसकी  आँखों  में  सिमटकर

अँधेरी  बड़ी  हैं  मेरी  जिंदगानी  की  गलियां
रोशनी  अपनी  देना  मेरे  माहताब  बनकर ।।