क्या तुम आज भी बसते हो
मेरे दिल में मेरे ख्यालों में
तमाम हसरतों और अरमानों
को जलाने के बाद भी,
क्या ये प्यार आज भी
जिन्दा है कहीं मुझमें
जैसे जीती है कोई शाख
पेड़ सूख जाने के बाद भी,
प्यार की तलाश में
बहुत भटका हूँ मैं
क्या मेरी मंजिल तुम ही थी
अगर ये सच है तो
तुमने इतना क्यों तड़पाया मुझको,
आँखों से ओझल थे
पर दिल के करीब थे तुम
हमेशा से दूर थे
पर दिल के करीब थे तुम,
मेरी ज़िंदगी थे मेरा नसीब थे तुम
जुदाई के पतझड़ में
बसंत का गीत थे तुम,
आँखों में बसती है सूरत तुम्हारी
पर कभी इन आँखों में देखा नहीं तुमने
धड़कन में बसती है मोहोब्बत तुम्हारी
पर कभी इस धड़कन को सुना नहीं तुमने,
खताओं का सिलसिला
आज भी जारी है
सजाओं का सिलसिला
आज भी जारी है,
फिर भी कहता हूँ, आज मैं
दिल खोल कर तुमसे,
मेरी वफाओं का सिलसिला
कल भी जारी था आज भी जारी है।
मनोज यादव
तमाम हसरतों और अरमानों
को जलाने के बाद भी,
क्या ये प्यार आज भी
जिन्दा है कहीं मुझमें
जैसे जीती है कोई शाख
पेड़ सूख जाने के बाद भी,
प्यार की तलाश में
बहुत भटका हूँ मैं
क्या मेरी मंजिल तुम ही थी
अगर ये सच है तो
तुमने इतना क्यों तड़पाया मुझको,
आँखों से ओझल थे
पर दिल के करीब थे तुम
हमेशा से दूर थे
पर दिल के करीब थे तुम,
मेरी ज़िंदगी थे मेरा नसीब थे तुम
जुदाई के पतझड़ में
बसंत का गीत थे तुम,
आँखों में बसती है सूरत तुम्हारी
पर कभी इन आँखों में देखा नहीं तुमने
धड़कन में बसती है मोहोब्बत तुम्हारी
पर कभी इस धड़कन को सुना नहीं तुमने,
खताओं का सिलसिला
आज भी जारी है
सजाओं का सिलसिला
आज भी जारी है,
फिर भी कहता हूँ, आज मैं
दिल खोल कर तुमसे,
मेरी वफाओं का सिलसिला
कल भी जारी था आज भी जारी है।
मनोज यादव
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