हर दिन आँखों में एक सपना बनता और बिखरता है,
क्या कीमत है उस आंसू की जो भीतर-२ मरता है।
क्या कीमत है उस आंसू की जो भीतर-२ मरता है।
क्या माँगा था तुमसे ज्यादा , बस साथ तुम्हारा माँगा था,
प्यार तुम्ही से करता था और प्यार तुम्हारा माँगा था,
वो लोग भला कैसे थे जिनको प्यार के बदले प्यार मिला,
हमको दुःख की जागीर मिली और पीड़ा का अधिकार मिला,
कैसे रोकूँ उस भाव को मैं जो घाव हृदय में करता है,
क्या कीमत है उस आंसू की जो भीतर-२ मरता है।
क्या कीमत है उस आंसू की जो भीतर-२ मरता है।
कहना बहुत था तुमसे, पर सुना नहीं तुमने,
भूल क्या हुई मुझसे जो ये सिला दिया तुमने,
अब सूनी हैं राहें मेरी, सूनी ये धडकन है,
तन्हा है दर्पण मेरा और तन्हा जीवन है,
सोचा बिसारूँ तुमको पर याद तुम्ही को करता है,क्या कीमत है उस आंसू की जो भीतर-२ मरता है।
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