लौट तुम जिन्दगानी में आती नहीं
खुशबू मगर तेरी यादों की जाती नहीं,
मौसम बदले हैं यूं ही बदलते रहेंगे
रोज़ ऋतुएँ मिलन की आती नहीं,
जख़्म हँसकर सहा और सहते रहेंगे
दीवानगी अपने सीने की जाती नही,
तमन्ना है यही मिल जाओ तुम हमें
उदासी दिल की सही हमसे जाती नही,
घुट-घुट कर जिया गम-ऐ-पल ज़िन्दगी
मौत भी बेवफा हमको आती नहीं,
नज़्म भी हो तुम्ही गीत भी हो तुम्ही
अपनी आदत गुनगुनाने की जाती नहीं।
---- एक ग़ज़ल --- तुम्हारे लिये -----
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें