नव-वर्ष का आगमन हो चुका है, सूरज की पहली
किरण के साथ जैसे नयी उम्मीदें हर दिन जागती हैं, वैसे ही नए वर्ष के आगमन
के साथ सभी व्यक्तिगत रूप से कुछ उद्देश्य जरूर निर्धारित करते हैं, चाहे
वो पूरे हो पाये या नही, किन्तु उद्देश्य निश्चित करना तो कथित तौर पर
जरुरी है।
जो भी वक़्त गुजरता है कुछ सीख तो अवश्य ही देकर
जाता है, कुछ लम्हें खुशी से बीते तो कुछ दुःख के साथ पर यही तो जीवन है,
इसका मतलब ये है की हम जीवन को जी रहे हैं।जीवन एक सतत और गतिशील प्रक्रिया का नाम है जो हमेशा चलती रहती है, वक़्त का यह पंछी यादों के कारवां को अपने में समेटे हुए उड़ता चला जा रहा है जिसे शायद किसी की परवाह नहीं, जो इसकी उड़ान के साथ उड़ा समय उसी का और जो नहीं उड़ पाया वो शायद दूर से हाथ हिलाने के सिवा कुछ भी नही कर सकता।
शायद मैं खुद अपने ही बारे में ये निश्चय ना कर पाऊँ की मैं कितना सफल हुआ हूं वक़्त की इस उड़ान के साथ पर मुझे खुशी है और गर्व है इस बात पर ये बीता वर्ष समतल रूप से बहती हुई एक नदिया के समान नहीं रहा बल्कि इसने एक समुंद्र का रूप लिया जिसमे समय-२ पर गतिशील लहरें जीवन-रूपी शिलाओं से टकराती रही, थपेड़े लगते रहे ठीक है आँधियाँ और तूफान भी जरुरी होते हैं तभी तो किनारे मिलते है और किनारे पर पहुचने की चाह भी तभी जीवंत रहेगी।
समस्याएं सभी के जीवन का हिस्सा हैं, कुछ अपने आप हल हो जाती है कुछ को हम अपनी योग्यता से हल कर लेते हैं और कुछ समस्याओं का हल केवल समय ही कर सकता है और सब कुछ उसी समय पर छोड़ भी देना जरुरी है।
कुछ अन-सुलझे प्रश्नों के साथ मेरा वर्ष भी समाप्त हुआ, मन में कुछ अच्छे लम्हों की यादें कुछ छिन्न-भिन्न हुई भावनाएँ और कुछ अन-सुलझे से प्रश्न जिनका जवाब मैं नहीं केवल बिहारी जी ही दे सकते हैं और उनका हल भी।
तो दोस्तों जा रहा हूँ उन्ही के दरबार में हाजरी लगाने उन्ही अन-सुलझे प्रश्नों के साथ अब उन्ही को सौंप कर आऊंगा सारे सवाल और सारी समस्याएं।
सादर -
मनोज यादव
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