चंदा के जैसा नूर है बसता तेरे चेहरे पर
अब तो आकर बस जाओ मेरे दिल की धरती पर
दिल की धरती पर कल्पना दिल की धरती पर
अब तो आकर बस जाओ मेरे दिल की धरती पर
मिलने तुम आयी मुझसे पैगाम वफ़ा का लेकर
आँचल में मेरी खुशियों की सारी सौगातें लेकर
इस दिल में अब तक सिहरन है तेरी आँखों को छूकर
अब तो आकर बस जाओ मेरे दिल की धरती पर
वो होठों पर मुस्कान तेरी पलकों का झुक जाना
बिन बोले तेरी आँखों का वो सब कुछ कह जाना
एक अजब सा दर्द है जैसे चोट लगी भीतर
अब तो आकर बस जाओ मेरे दिल की धरती पर
वो गंगा की पावन लहरों सी आँखों में सच्चाई
जिनमें मैंने देखी है ख़ुद अपनी परछाई
वो तुम जो यूँ दिल ही दिल में रह जाती शरमाकर
अब तो आकर बस जाओ मेरे दिल की धरती पर
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