हर ख्वाब इन आखों का सच्चा लगता है,
जब तुम गुजरते हो ख्यालों से अच्छा लगता है,
जहन में जब उतर जाती है सूरत तुम्हारी,
झुककर चाँद भी जमीं पर ढलने लगता है,
आँख जब खुलती हैं सर्द इस मौसम में तुम्हारी,
क़तरा शबनम का तुम्हारे होठों से पिघलने लगता है,
जिंदगी जीना तो बड़ा दुश्वार हो गया है अब "मनु"
तड़पकर उनकी यादों में जलना अच्छा लगता है ।
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