मेरे मन का गीत
मैं हिन्द का निवासी हूँ, हिंदुत्व मेरा धर्म है, राज-भाषा का प्रहरी हूँ, हिंदी सेवा मेरा कर्म है।
शनिवार, 30 अप्रैल 2016
वृँदावन बनवाइये (मुक्तक )
राधा बन आये गोरी यमुना के तट पर
श्याम बनकर खुद बंसी बजाइये
प्रेम रहे चारों ओर प्रेम बसे चारों ओर
घर को ही मिल वृँदावन बनवाइये ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें