शनिवार, 9 अप्रैल 2016

हमको सपने सजाना जरुरी लगा

पढ़िए मेरी कविता हमको सपने सजाना जरुरी लगा, शायद आपकी पलकों पर भी कुछ सपने सज जाएँ,
आपको भी किसी अपने के लिए कोई सपना सजाना जरुरी लगे,
हृदय-तल की गहराइयों से निकली एक कविता

"हमको सपने सजाना जरुरी लगा"


सादर -
मनोज यादव 
 

http://www.pravakta.com/humko-sapne-sajana-jaroori-laga/




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