शनिवार, 30 अप्रैल 2016

प्रेम ही तो धन है (मुक्तक)



प्रेम  ही  तो  धन  है  प्रेम  ही  जीवन  है
प्रेम  के  ही  दिन  रात  गीत  गुनगुनाइए
प्रेम  ही  है  औषधी  प्रेम  ही  संजीवनी
प्रेम  को  ही  दिन  रात  हृदय  में  बसाइये।

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