खुशियाँ नहीं मिली तो क्या, ग़मों को पा लिया,
आसमाँ नहीं मिला तो क्या, ज़मीन को पा लिया,
मुकम्मल जहां नहीं मिलता, बखूबी जानता हूँ मैं,
पर तेरी चाह में, मैंने खुद को पा लिया ।।
( सारी जिन्दगी गुजार दी तन्हा,
उन्ही लोगों ने,
जो कहते थे,
प्यार नाम की कोई चीज़ नहीं इस जहान में )
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