सोमवार, 9 जनवरी 2017

एहसास भला किसको होगा






तपती  धूप  में  चलते-चलते  पड़े  पैर  में  छालों  का
तन्हाई  में  पल-पल  पीते  उन  आँसू  के  हालों का
एहसास  भला  किसको  होगा,  एहसास  भला  किसको  होगा,

सूनेपन  को  हरने  वाले  उस  आने  वाले  कलरव  का
किसी  सूखे  पेड़  से  फूट  पड़े  सहसा  एक  पल्लव  का
एहसास  भला  किसको  होगा,  एहसास भला  किसको  होगा,

कोई  झरना  सा  फूट  पड़ेगा  सूनी  गोद  भरेगी  धरती  की
पर  क्या  कोई  व्यथा  सुनेगा  अपना  जल  बरसाते  मेघों  की
एहसास  भला  किसको  होगा,  एहसास  भला  किसको  होगा,

उस  पीड़ा  का  उस  आंसू  का  सूनेपन  का  तन्हाई  का
पग-पग  पर  मिलने  वाली  अपनों  से  रुसवाई  का
एहसास  भला  किसको  होगा, एहसास  भला  किसको  होगा ।

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