गुरुवार, 28 जनवरी 2016

तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……(भाग - २ )












तेरी जुल्फों के साए में जिन्दगी सुहानी लगती है ,
पीपर की छाया भी हमको स्वर्ग सरीखी जंचती है ,
कोयल की हर कूक मेरे मन को घायल कर जाती है ,
तितली मन की बगिया में रंग नए भर जाती है ,
और पवन बसंती का हर झोंका जैसे जाता है कोई तरंग छेड़ के ,
तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……

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