तेरी जुल्फों के
साए में जिन्दगी सुहानी
लगती है ,
पीपर की छाया
भी हमको स्वर्ग
सरीखी जंचती है
,
कोयल की हर
कूक मेरे मन
को घायल कर
जाती है ,
तितली मन की
बगिया में रंग
नए भर जाती
है ,
और पवन बसंती
का हर झोंका
जैसे जाता है
कोई तरंग छेड़
के ,
तुम चली आओ
चुनार प्यार की
ओढ़ के.……
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