मेरे मन का गीत
मैं हिन्द का निवासी हूँ, हिंदुत्व मेरा धर्म है, राज-भाषा का प्रहरी हूँ, हिंदी सेवा मेरा कर्म है।
बुधवार, 27 जनवरी 2016
तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के
अपने
चपल
नयनों
में
गोरी
,
कर
काजर
का
यूं
श्रृंगार
,
अधरों
पर
यूं
मुस्कान
बिखेर
,
के
ज्यों
लागे
मोतियन
के
हार
,
और
गुलाबी
चेहरे
पर
,
मतवाली
लट
बिखेर
के
,
तुम
चली
आओ
चुनार
प्यार
की
ओढ़
के
.……
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