सजनी खंजन से
ये नैन तेरे
मेरे हृदय को
भेदित करते है,
कानों के झुमके
तेरे गालों से
ठिठोली करते हैं
,
तेरे चेहरे की
गरिमा से मेरा
तन-मन पिघला
जाता है,
तेरे नूपुरों का
स्वर जैसे कोई
मधुर गीत सा
गाता है,
तेरी वाणी का
हर एक बोल
जैसे जाता है,
कानों में मिसरी
घोल के ,
तुम चली आओ
चुनार प्यार की
ओढ़ के.……
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