गुरुवार, 28 जनवरी 2016

तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.…… भाग-३










सजनी खंजन से ये नैन तेरे मेरे हृदय को भेदित करते है,
कानों के झुमके तेरे गालों से ठिठोली करते हैं ,
तेरे चेहरे की गरिमा से मेरा तन-मन पिघला जाता है,
तेरे नूपुरों का स्वर जैसे कोई मधुर गीत सा गाता है,
तेरी वाणी का हर एक बोल जैसे जाता है, कानों में मिसरी घोल के ,
तुम चली आओ चुनार प्यार की ओढ़ के.……

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