मैं हिन्द का निवासी हूँ, हिंदुत्व मेरा धर्म है, राज-भाषा का प्रहरी हूँ, हिंदी सेवा मेरा कर्म है।
शनिवार, 30 अप्रैल 2016
घर को ही मिल वृँदावन बनवाइये ( कविता )
दिल करता है तुम्हे आँखों में बसा लूँ मैं
दिल करता है तुम्हे सांसों में बसा लूँ मैं
जुदा ना होने दूँ कभी अपने से तुमको मैं
दिल करता है तुम्हे खुद में छुपा लूँ मैं
आँखों ही आँखों में जब बात बढ़ जाती है
चैन दिन का रात नींद उड़ जाती है
रूह को सुकून नहीं दिल को करार नहीं
कैसे कह दू तेरे इश्क़ का बीमार नहीं
इश्क़ के रोग की तो दवा नहीं मिलती
भूख नहीं लगती प्यास नहीं लगती
वैध जी से पूछा मैंने दवा तो बताइये
बोले दिलबर को अपने मिलने बुलाइये
आँखों को आँखों के पास होटों को होटों के पास
पहले दिलबर को अपने गले से लगाइये
गिले-शिकवे सब भूल के दोनों ही अब
ज़िन्दगानी को मिल प्यार से बिताइये
प्रेम ही तो धन है प्रेम ही जीवन है
प्रेम के ही दिन रात गीत गुनगुनाइए
प्रेम ही है औषधी प्रेम ही संजीवनी
प्रेम को ही दिन रात हृदय में बसाइये
राधा बन आये गोरी यमुना के तट पर
श्याम बनकर खुद बंसी बजाइये
प्रेम रहे चारों ओर प्रेम बसे चारों ओर
घर को ही मिल वृँदावन बनवाइये ।
शनिवार, 9 अप्रैल 2016
हमको सपने सजाना जरुरी लगा
पढ़िए मेरी कविता हमको सपने सजाना जरुरी लगा, शायद आपकी पलकों पर भी कुछ सपने सज जाएँ,
आपको भी किसी अपने के लिए कोई सपना सजाना जरुरी लगे,"हमको सपने सजाना जरुरी लगा"
सादर -
मनोज यादव
http://www.pravakta.com/humko-sapne-sajana-jaroori-laga/
सदस्यता लें
संदेश (Atom)