मेरे मन का गीत
मैं हिन्द का निवासी हूँ, हिंदुत्व मेरा धर्म है, राज-भाषा का प्रहरी हूँ, हिंदी सेवा मेरा कर्म है।
बुधवार, 10 फ़रवरी 2016
बारिश की बूँदें
जब-जब बारिश में भीगकर,
तेरी जुल्फों का अंजुम खुल जाता है,
कतरा-कतरा बहता पानी, जैसे मदिरा बन जाता है।
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