शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

माँ के लिये - तीसरा मुक्तक










ग़म  की  उदासी  में,  कभी  खोने  नहीं  देती,
सह लेती  है दुःख हँस  के, कभी रोने  नहीं  देती,
अपने  आँचल की  छत  दे  दी,  मुझे  बरसात  में  माँ  ने,
बेघर  किसी  बच्चे   को, माँ   होने   नहीं   देती  ।।



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