गुरुवार, 12 मई 2016

रोम-रोम मेरा वृन्दावन हो गया









थोड़ी    खुशियाँ   तुम   चुन  लेना
थोड़ी    खुशियाँ   हम   चुन   लेंगे
थोड़ा  सपने  तुम   बुन  लेना
थोड़े  सपने  हम   बुन   लेंगे

साथ  रहेंगे  खुशी  से  दोनों  हम
घर  को  मिल  वृन्दावन  कर  लेंगे।



बांसुरी  के  स्वरों  सा  मन  हो  गया
मोर  पंख  सा  तन  हो  गया
हे !  कृष्णा  जब  से  आये  हो  जीवन  में
रोम-रोम  मेरा  वृन्दावन  हो  गया।

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