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मैं हिन्द का निवासी हूँ, हिंदुत्व मेरा धर्म है, राज-भाषा का प्रहरी हूँ, हिंदी सेवा मेरा कर्म है।
बुधवार, 18 मई 2016
तुम चली आओ चुनर प्यार की ओढ़ के
गुरुवार, 12 मई 2016
मंगलवार, 10 मई 2016
रविवार, 8 मई 2016
ना जाने लोग प्यार करते क्यों हैं ( कविता )
कितनी दर्द भरी हैं
मोहोब्बत की राहें
फिर भी ना जाने लोग
गुजरते क्यों हैं,
जब प्यार निभाना
आता ही नहीं
फिर भी ना जाने लोग
प्यार करते क्यों हैं,
दिल तो दिल होता है
किसी का कोई खिलौना नहीं
फिर भी ना जाने लोग
दिल तोड़ते क्यों हैं,
कस्में खाते हैं
सात जन्मों तक साथ निभाने की
फिर भी ना जाने लोग
साथ छोड़ते क्यों हैं,
कोई तो जान देता है
उनकी एक मुस्कराहट पर
फिर भी ना जाने लोग
उससे मुँह फेरते क्यों हैं,
दुनियां है पैसे वालों की साहब
ग़रीब के पास तो बस जज़्बात हैं
फिर भी ना जाने लोग
उसके जज्बातों से खेलते क्यों हैं ।
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अज़ीब कश्मकश रही दोस्तों
अपनी अधूरी कहानी में,
"उनको चाहिए थी महलों की रंगीनियाँ
और हमारे पास अपने अरमाँ ही थे सजाने को
उनकी ज़िन्दगी में कमी थी रोशनी की
और हमारे पास अपना दिल ही था जलाने को "
शनिवार, 7 मई 2016
कालिया दमन घाट, वृन्दावन
कालिया दमन घाट, वृन्दावन
कालीयदमनघाट- इसका नामान्तर कालीयदह है। यह वराहघाट से लगभग आधे मील उत्तर में प्राचीन यमुना के तट पर अवस्थित है। यहाँ के प्रसंग के सम्बन्ध में पहले उल्लेख किया जा चुका है। कालीय को दमन कर तट भूमि में पहुँच ने पर श्रीकृष्ण को ब्रजराज नन्द और ब्रजेश्वरी श्री यशोदा ने अपने आसुँओं से तर-बतरकर दिया तथा उनके सारे अंगो में इस प्रकार देखने लगे कि 'मेरे लाला को कहीं कोई चोट तो नहीं पहुँची है।' महाराज नन्द ने कृष्ण की मंगल कामना से ब्राह्मणों को अनेकानेक गायों का यहीं पर दान किया था।
चीर घाट, वृन्दावन
चीर घाट
इस मन्दिर की परिक्रमा करने से श्री गिर्राज जी की सप्तकोसीय परिक्रमा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। मन्दिर में श्रीराधावृन्दावन चन्द्र, श्रीराधादामोदरजी, श्रीराधामाधव जी और श्रीराधा छैल छिकन जी के विग्रह है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सनातन गोस्वामी को प्रदत्त शिला भी यहाँ है, जिस पर भगवान का दायाँ चरण चिन्ह, बांसुरी, लकुटी और गाय का खुर अंकित है। यहाँ जीव गोस्वामी जी एवं अन्य की समाधि भी है।वृन्दावन में यमुना के तट पर एक प्राचीन कदम्ब वृक्ष है। यहीं पर श्रीकृष्ण ने कात्यायनी व्रत पालन हेतु यमुना में स्नान करती हुईं गोप-रमणियों के वस्त्र हरण किये थे। ये ब्रज कुमारियाँ प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त्त में श्री यमुना जी में स्नान करतीं और तट पर बालू से कात्यायनी (योगमाया) की मूर्ति बनाकर आराधना करती हुई यह मन्त्र उच्चारण करती थीं -
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी ।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नम: ॥
व्रत के अन्त में कृष्ण ने स्वयं वहाँ पधारकर वस्त्र हरण के बहाने उनको मनोभिलाषित वर प्रदान किया- अगली शरद पूर्णिमा की रात में तुम्हारी मनोभिलाषा पूर्ण होगी ।
शेरगढ के पास एक और चीरघाट तथा कदम्ब वृक्ष प्रसिद्ध है। कल्पभेद के अनुसार दोनों स्थान चीरघाट हो सकते हैं। इसमें कोई सन्देह की बात नहीं ।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नम: ॥
सोमवार, 2 मई 2016
(मेरे दिल के एहसास)
(मेरे दिल के एहसास)
जब वो चलती है क्या खुशबू आती है
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जब वो हंसती है फूलों की बरसात हो जाती है
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उसका खयाल जो आता है मन मचल सा जाता है
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उसकी बातें जो कंही होती है मुझे शर्म सी आ जाती है
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उसका एहसास जब भी आता है
रोता हुआ चेहरा भी हंस पड़ता है
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मोसम बदल जाते हैं जब वो झूम के घर से निकलती है
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भोली भाली नटखट परी वो मुझे देख छुप जाती है
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नयन उसके मतवाले नजर उसकी बड़ी नशीली है
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उसकी पायल की झनकार जैसे ही कानों में पड़ती है
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मन मे कई सितार बजने लगते हैं
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दिल में नई उमंगे डोल पडती है
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उसके पैरों की आहट जब भी महसूस करता हुं
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चुप के से मेरे पीछे आकर मुझे वो डराती है
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हो चाहे कितना भी गम मुझे
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हर पल वही दिलासा दिलाती है
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गर कभी उससे रुठ भी जाऊँ तो भी
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वही आकर मुझे मानती है
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हाँ है एक लड़की जो मुझे बहुत याद आती है
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