रहते हैं जाने कहाँ पर वो आज कल
एक हम ही हैं जिसको ख़बर नहीं मिलती
तड़प-२ कर कट रहा लम्हा इंतज़ार का
इंतज़ार के इस लम्हे को उम्र नहीं मिलती
सामने जब आते हैं हमारे वो कभी-कभी
आँखें उठती है पर नज़रों से नज़र नहीं मिलती
मोहोबत का नूर है उनके चेहरे पर भी
ख्वाबों को बस इतनी हक़ीक़त नहीं मिलती ।।
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