" मनु " वो खूबसूरत बसंती हवा सी
अपने आँचल में सारे गुलशन को समेटे हुए
पीली-पीली सरसों की तरह लहराती-बलखाती
जब भी गुजरती है हमारे आस-पास से अक्सर
ऐसा लगता है जैसे मौसम बसंत का भी
शर्मा जाता होगा
जब देखता होगा उनकी एक झलक को,
" मनु " वो मादकता आंखों से छलकाती
हुस्न की शोखियों पर साकी जैसे बलखाती
वो सरस-सजल पलकों वाली, वो कुंचित घन अलकों वाली
जब भी गुजरती है हमारे आस-पास से अक्सर
ऐसा लगता है जैसे पैमानें और मैख़ाने भी
शर्मा जाते होंगे
जब देखते होंगे उनकी एक झलक को,
" मनु " वो लहराता ख़ूबसूरती का साग़र
एक मुस्कराहट उनकी दूर तक हल-चल मचाती
भीगे-भीगे अधर उनके गुलाब की पंखुड़ी की तरह सरस
जब भी गुजरती है हमारे आस-पास से अक्सर
ऐसा लगता है जैसे क़लम हमारी
दीवानी हो जाती है
जब देखती है उनकी एक झलक को ।
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