मंगलवार, 16 मई 2017

उनकी एक झलक को !!!!







" मनु "  वो  खूबसूरत  बसंती  हवा  सी
अपने  आँचल  में  सारे  गुलशन  को  समेटे  हुए
पीली-पीली  सरसों  की  तरह  लहराती-बलखाती
जब  भी  गुजरती  है  हमारे  आस-पास  से  अक्सर
ऐसा  लगता  है  जैसे  मौसम  बसंत  का  भी 
शर्मा  जाता  होगा
जब  देखता  होगा  उनकी  एक  झलक  को,


" मनु "  वो  मादकता  आंखों  से  छलकाती
हुस्न  की  शोखियों  पर  साकी  जैसे  बलखाती
वो  सरस-सजल  पलकों  वाली,  वो  कुंचित  घन  अलकों  वाली
जब  भी  गुजरती  है  हमारे  आस-पास  से  अक्सर
ऐसा  लगता  है  जैसे  पैमानें  और  मैख़ाने  भी
शर्मा  जाते  होंगे
जब  देखते  होंगे  उनकी  एक  झलक  को,


" मनु "  वो  लहराता  ख़ूबसूरती  का  साग़र
एक  मुस्कराहट  उनकी  दूर  तक  हल-चल  मचाती
भीगे-भीगे  अधर  उनके  गुलाब  की  पंखुड़ी  की  तरह  सरस
 जब  भी  गुजरती  है  हमारे  आस-पास  से  अक्सर
ऐसा  लगता  है  जैसे  क़लम  हमारी
दीवानी  हो  जाती  है
जब  देखती  है उनकी  एक  झलक  को ।


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