कुछ खास है कुछ खोये एहसास
कुछ यादों के हैं धोये एहसास
एहसासों को पल-पल संजोते हुए
सजाकर लाया हूँ तुम्हारे लिए
ये कविता मेरी है तुम्हारे लिए,
कुछ हकीकत हैं, अफ़साने हैं
कुछ नग्में हैं कुछ तराने हैं
कल्पनाओं को पल में समेटे हुए
सजाकर लाया हूँ तुम्हारे लिए
ये कविता मेरी है तुम्हारे लिए,
कुछ बातें कही हैं कुछ अनकही
कुछ रस्में नयी कुछ कस्में नयी
तन्हाई को खुद में समेटे हुए
सजाकर लाया हूँ तुम्हारे लिए
ये कविता मेरी है तुम्हारे लिए,
कुछ दर्द सहे कुछ पीड़ा सही
बेचैनी सही लाचारी सही
अश्कों से दामन भिगोए हुए
सजाकर लाया हूँ तुम्हारे लिए
ये कविता मेरी है तुम्हारे लिए,
मिलो तुम हमें पलकों के तले
समय से इधर या समय से परे
कुछ सपने आँखों में संजोये हुए
सजाकर लाया हूँ तुम्हारे लिए
ये कविता मेरी है तुम्हारे लिए।
'' तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए
हर कविता मेरी बस तुम्हारे लिए "
" आँखें तो कह देती हैं बस होटों से दूरी है,
कुछ कहना चाहता हूँ तुमसे पर जाने क्या मज़बूरी है "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें