शनिवार, 20 मई 2017

आँखों से हमारी गायब है नींदें !!!



आँखों  से  हमारी  गायब  है  नींदें
हर  ख्वाब  हमको  सुनहरा  नज़र  आता  है


पलकें  हमारी  झपके  भी  तो  कैसे
हर  वक़्त  सामने  उनका  चेहरा  नज़र  आता  है

बेबसी  और  बैचेनी  तड़पाती  है  दिल  को
चुप-चुप  अश्कों  को  पीना  नज़र  आता  है

छलनी-छलनी  हो  गया  पागल  दिल  हमारा
अब  तो  मुश्किल  जख्मों  को  पीना  नज़र  आता  है

वो  जान  कर  भी  अनजान  बने  बैठे  हैं
हमको  भी  अजनबी  बन  जीना  नजर  आता  है।

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