शुक्रवार, 19 मई 2017

"कल्पना" हो अगर !!!








ये  कहानी  अधूरी  तो  ना  छोड़ो  तुम
हमसे  ऐसे  नज़र  को  तो  ना  मोड़ो  तुम
दिल  तो  दिल  हमारा  पत्थर  तो  नहीं
ऐसे  शीशा  समझ  के  तो  ना  तोड़ो  तुम,

खुशी  मिल  गयी  जब  से  तुम  हो  मिले
रंगीन  है  समा  जबसे  तुम  हो  मिले
है  छायी  ख़ुमारी  हर  एक  शाम  पर
एक  नशा  छा  गया  जबसे  तुम  हो  मिले

नदिया  हो  अगर  मैं  कोई  प्यास  हूँ
मुझको  महसूस  कर  मैं  तेरे  प्यास  हूँ
गीत  हो  या  ग़ज़ल  या  हो  कविता  कोई
"कल्पना"  हो  अगर  मैं  कोई  ख़्वाब  हूँ।

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