कल्पना कभी नाराज़ मत होना मुझसे................
मजबूरियाँ दी हैं मेरी ज़िन्दगी ने बहुत
कभी मैं अपना हाथ बढ़ाऊँ भी तो कैसे
अपने दिल में बसने वाले अरमानों को
कभी किसी के संग सजाऊँ भी तो कैसे
" कल्पना " तुम तो खूबसूरत चाँद हो फलक के
जिससे होता है ये सारा जग रोशन
हस्ती ज़रा छोटी है अपनी
तुम को जमीं पर लाऊँ भी तो कैसे ............
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