आँख जब उनसे मिली अपना होश-ओ-हवास खो दिया
नींद खोयी रातों की दिन का चैन खो दिया
अब तो कुछ बचा नहीं मेरे पास खोने को
पहले तो दिल खोया आज अपने आप को भी खो दिया।
जरुरी है की आँखों में मिलने की प्यास बाकि रहे
ताकि ज़िंदगी में ज़िंदा होने का एहसास बाकि रहे
फैसले सारे तेरे हसकर कबूल है ऐ ज़िंदगी
बस दिल में किसी के लिए प्यार और धड़कन में इंतज़ार बाकि रहे।
मत छेड़ा करो पुराने तारों को हमारे
सीने का दर्द आँखों में गलने लगता है
लाख बहारें छायी हो भरे गुलशन में लेकिन
पतझर आते ही मौसम बदलने लगता है।
जो खुद है फूल कुमुदनी का उसे मैं कमल क्या लिखूँ
जो खुद है जीती-जागती ग़ज़ल उसे मैं ग़ज़ल क्या लिखूँ।
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